वाणी अर्चना
शुभवसनधरे, श्वेता , बसी सादगी में ;
स्फटिकधरवरे , वीणा रखी हाथ वाणी;
रतन शत खची अंगों सुहाते तिहारे ,
जन सब रहते तुम्हार सेवी सदा ही ।
गरदन लटके शोभा बढ़ाते प्रसूनों ;
कमल पर बिठी शुभ्रा रमी गीत में हो,
उड़ - उड़ करती यात्रा मरालों चढ़ी तू ;
कुमुद - विसुषमा धारे रही भारती हो ।
रमकर धुन में तू योग की मल्लिका-सी ,...
स्फटिकधरवरे , वीणा रखी हाथ वाणी;
रतन शत खची अंगों सुहाते तिहारे ,
जन सब रहते तुम्हार सेवी सदा ही ।
गरदन लटके शोभा बढ़ाते प्रसूनों ;
कमल पर बिठी शुभ्रा रमी गीत में हो,
उड़ - उड़ करती यात्रा मरालों चढ़ी तू ;
कुमुद - विसुषमा धारे रही भारती हो ।
रमकर धुन में तू योग की मल्लिका-सी ,...