...

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रिश्ते बेकदर
मिलने की ख्वाहिश की,
वो मुकर गये,
कहा इस शहर में नहीं रहते,
एक दिन टक्कर गये,
मन ने चाहा गले लगाले,
शायद इत्तेफाक से टक्कर गये,

कोई मजबूरी होगी,
वरना कौनसी दुरी होगी,
मिल गये अब तो,
अब कहानी पूरी होगी।

मन भी पागल बह जाता है,
आगा -पीछा सब
आंसूओं के समुंदर में ढ़ह जाता हैं।
जो कल मेरा ना होआ,
आज तेरे लिए आया हूं,
कितना आसानी से कह जाता हैं।

धोखा देना,
तो आता क्यों,
मेरा होता,
तो जाता क्यों,
मन भी व्यथा सुनाता हैं,
इंसान भी कितना अजीब हैं ना,
रिश्ते बनाता कर
निभाने भूल जाता हैं।
© Jyoti Swami