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हैं आसरा तेरा ही ओ माँ
हैं आसरा तेरा ही ओ माँ
तुझसे ही देखा हैं ये जगत सारा
हैं तु सही मिसाल वफ़ा कि ओ माँ
तुझ बिन ज़ीना लगे मुझको ग़लत सारा

हैं नूर तेरा ही
जो मेरे हर अंधेरे को मिटाता हैं
तेरा करम हैं मुझ पर हरदम
तेरा आशीर्वाद हर मुश्किल हटाता हैं

महरूम रहता मैं जब भी मंज़िल से
तुझसे मिला आसरा मेरे जुनून को जगाता हैं
तुझ पर निसार कर दूं मैं खुशियों को मेरी
तेरी मुस्कान का मंज़र मेरे सुकून को जगाता हैं

तु ही हैं भगवान मेरा
तुझसे ही जीवन का सार हैं
सजदा इबादत ओ बंदगी तेरी हरदम करूं
तेरे लिए निसार ये पूरा संसार हैं

-उत्सव कुलदीप






© utsav kuldeep