...

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क्या तुम समझती नहीं हो❤️❤️❤️❣️❣️❣️
तुम्हें लिखता हूं शायरी में अपने,
क्या तुम समझती नहीं हो,🤔🤔

बादल बन कर छायी हो मुझ पे,
बस बरसती नहीं हो❣️❣️

इशारों में मैं बोल चुका हूं कई दफा,
बेशक तुम हाँ नहीं करती पर मुकरती नहीं हो,🤔🤔

मैं ही करता हूँ कोशिशें हमेशा आगे से,
क्या कभी तुम मुझ से मिलने को तरसती नहीं हो❣️❣️

मालूम है चिंगारी मौजूद तो है कहीं दिल में तेरे भी,
पर ईश्क़ की हवा करने पर भी तुम सुलगती नहीं हो❣️❣️



© सौ₹भmathu₹