...

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हम पागल

थोड़े-से कैद, थोड़े आज़ाद हैं हम,
इस सुधरी हुई-सी दुनिया में, थोड़े बर्बाद हैं हम,
दिखावे की दौड़ को जीतना आता न हमें,
अफवाहें निराधार फैलाना भाता न हमें,
जीना हो अभाव में चाहे, मगर जीते हैं ईमान से,
कोई दौलत नहीं बड़ी है...