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प्रतिक्षा
#प्रतिक्षा

स्थिर तन चंचल मन,
अडिग प्रतिक्षा की लगन;

शम्भू जैसे पाने को गौरा संग,
ठीक वैसे ही तुम्हें पाने की जागी है उमंग:

मन विचलित और ख़्वाब है अधूरे,
तुम मिल जाओ तो हो जाएंगे ख़्वाब मेरे पूरे:

प्रतिक्षा की घड़ी और तुम्हारी कमी,
आपकी यादों में इन आंखों में आ जाती है नमी;

कर रहे हैं प्रतिक्षा और देख रहे हैं रास्ता,
जल्दी लौट आओ तुम्हें हमारे प्यार का वास्ता;