...

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कहीं ये प्यार तो नहीं??
आंखों में एक नई सी शरारत है,
मन में थोड़ी सी हलचल..
दिल में थोड़ी सी गुदगुदी..
लबों पे कुछ बातें अटक रही है!!
कहीं ये कोई इशारा तो नहीं???

जाने ये कैसी बैचेनी है!
हलकी सी मुस्कुराहट कुछ बयां करना चाहती है..
मानो ये खुद से खुदको संभालने की कोशिश कर रही है.
कहीं ये प्यार तो नहीं??

हवाओं में ये कैसी खुशबू है!
जैसे मानो फूलों से लिपट कर यही खुशबू बिखेर रहें हों..
कोयले कुछ मीठे से धुन गुनगुना रहें है..
जैसे मानो कोई जानी पहचानी सी धुन हो!
आसमां का रंग भी आज कुछ बदला हुआ सा है..
जैसे इनमे रंगों की बरसात हुई हो!
चांद की चांदनी भी आज चेहेक रही है..
तारें एक दूसरे में ऐसे डूबे हुऐ हैं...
जैसे मानो एक दूसरे के ही होके रहना चाहते हो!
कहीं यही प्यार तो नहीं????

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