मेरी अभिलाषा
खुद से खुद के लिए एक घर बनाना चाहती हूं
एक घर बनाना चाहती हूं ऐसा
जहां कोई कह ना सके फिर ऐसा
तुम तो पराई हो,यहां क्या लेने आई हो?
यह घर है मेरा, तुम तो यहां पर आई हो
मन यह मेरा पूछता सवाल है
जहां जन्मों का रिश्ता नहीं
वही कोई क्यू नही वास्ता
फिर कैसे दूसरों के आशियाने
में घर बनाऊंगी
क्या मजाल मेरी कि उस घर को भी
अपना कह पाऊंगी
तेरा...
एक घर बनाना चाहती हूं ऐसा
जहां कोई कह ना सके फिर ऐसा
तुम तो पराई हो,यहां क्या लेने आई हो?
यह घर है मेरा, तुम तो यहां पर आई हो
मन यह मेरा पूछता सवाल है
जहां जन्मों का रिश्ता नहीं
वही कोई क्यू नही वास्ता
फिर कैसे दूसरों के आशियाने
में घर बनाऊंगी
क्या मजाल मेरी कि उस घर को भी
अपना कह पाऊंगी
तेरा...