...

9 views

पर्यावरण संरक्षण एवं एकता (नुक्कड़ नाटक)
गंगा गुरुकुलम का सभागार , वार्षिक समारोह,
एकता के विषय पे पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे को दर्शाने कक्षा ११ के विद्यार्थियों की टोली प्रस्तुत करती है नुक्कड़ नाटक।

पर्दा खुलता है और सभी बच्चे नाचते, ढपली बजाते,
एक सुर में गाते हैं,

“ एक अकेला थक जाएगा, हांथ बढ़ाओ मिल के,
गुरुकुल की है टोली आई निकलो घर से।”
___________________________________
पहला पात्र,
• मुष्टिका नहीं , मैं कहता इसको उंगली पांच हूं,
जब मिले पंच , हो परमेश्वर , फिर आए किसी को आंच क्यों।

• अलग-थलग अरे इधर-उधर, कब तक भैया भागोगे ,
जब सो जाएगी यह धरती, तब क्या तुम जागोगे।

• अरे भई क्या हो गया ,किसको जगा रहे और कौन सो गया?

• अरे रामू भैया तुम भी आओ श्यामू भैया तुम भी आओ,
गली मोहल्ला और झोपड़ियां सब जन मिल जरा ध्यान लगाओ।

• सब लोग –क्या हुआ ....क्या हुआ....

• अरे भइया सुना है ई धरती के लोगन दूसरे गोला पे जाई के बात करत हैं।

•क्या बोले..... दूसरे गोला पे ??

• अब यह तो वही बात हो गई की ,
यार मेरा घर बहुत ज्यादा गंदा हो गया है , सांस लेना भी दुश्वार है तो सोच रहा हूं ...शहर में एक नया घर ले लूं ।

• लेकिन भाई ,
हम घर को साफ भी तो कर सकते हैं , या मरम्मत करवा सकते हैं और ऐसा कर सकते हैं कि आगे से गंदगी ना हो।

• सब....बस यही बात तो हम सब कहना चाह रहे हैं ....

• क्यों ढूंढ रहे मंगल पर...