वो खड़ा
वो खड़ा पर्वत विशाल सा
वो खड़ा एक बड़े सवाल सा
राह में हैं कई मुश्किलें खड़ी
सर पे हैं ज़िम्मेदारियाँ बड़ी
पर वो चला शेर की चाल सा
वो खड़ा पर्वत विशाल सा
वो खड़ा एक बड़े सवाल सा
दुश्मनों ने कई कांटे बिछाए
अस्मिता पे भी चांटे लगाए
पर वो रहा हाथी की चाल सा
वो खड़ा पर्वत विशाल सा
वो खड़ा एक बड़े सवाल सा
मन में संकल्प साधा है उसने
अमन का धागा बँधा है उसने
कर गया वो कुछ कमाल सा
वो खड़ा पर्वत विशाल सा
वो खड़ा एक बड़े सवाल सा
ऐसा नहीं की सब कुछ सही है
कमियाँ उसमें भी कई हैं
पर वो है इंसानी मिसाल सा
वो खड़ा पर्वत विशाल सा
वो खड़ा एक बड़े सवाल सा॥
©️डॉ.मनीषा मनी
© Dr.Manishaa Mani