...

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एक खत जो मैंने उसे भेजा नहीं
प्रिय मित्र रानी
तुम्हे बहुत कुछ कहना है
पर जानता हूं
बात करने के लिए
तुम्हे वक्त नहीं मिल पाएगा
और तुम्हारी यादों में लिखी सारी बातें
बस बेजान कागज में रह जायेगा
कम लिखूं
या मैं दो लब्जो में सब बयां कर दू
ये मुनकिम नहीं हो पाएगा
कितने बातें है ,कितने सवाल है
काश तुम्हे कह पाते
पर जानता हूं
ये मुनकिम नहीं हो पाएगा
हम दोस्त नहीं थे
और ना ही तुम्हे मुझ पर भरोसा
पर आप से हम दिल जुड़े थे
फिर कैसे दिल ये तुम्हे भूल पाएगा
जिस दोस्त के होने से गर्व महसूस किया
आज उनसे इस कदर दूर है
जैसे एक दूसरे को जानते ही नहीं
तो कैसे दिल सुकून से रह पाएगा
तुम्हे चाहना मेरी गलती थी
तुम्हे दिल की बातें कहना मेरी गलती थी
आज जो तुम मेरे साथ नहीं
ये मेरी गलती है
तुम्हे नफरत सी हो गई होगी मुझ से
पर ये दिल नहीं समझ रहा
ये अब भी तुम्हारा साथ चाहता है
जो अब मुनकिम हो नहीं पाएगा
इस बार भी तुम्हारे इंतजार में दिल टूट जायेगा
© Amus Singku