...

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नारी - " सम्पूर्णता का स्वरूप "
जरा गौर से सुनो , मेरी ये बात
मैं 'अबला' नहीं मैं 'नारी' हूं ,
मैं दुष्टों का संहार करने वाली हूं ,
मैं हर युग में 'पूजने' वाली हूं ,
मैं 'अबला' नहीं मैं 'नारी' हूं ||

यूं तो तकलीफो से हर रोज गुजरती हूं ,
पर फिर भी अपने चेहरे पर मुस्कान में रखती हूं |
किसी को पता न लग जाए मेरे दर्द की वजह ,
इसलिए अक्सर खामोश में खुद को रखता हूं ||

क्योंकि मैं इक नारी हूं ,
इसलिए सबका ख्याल में खुद रखती हूं |
खुदको सवारना भले ही मैं भूल जाति हूं ,
लेकिन फिर भी अपनो को में अच्छे से संभालती हूं ||

हां, क्योंकि मैं इक नारी हूं ,
इसलिए त्याग करना मेरे खून में है |
कभी अपने सपनो का छोड़ देती हूं, अपनो की खातिर ,
कभी अपनो को छोड़ देती हूं , किसी और के खातिर ||

जीवन कितना मुश्किल क्यों ना हो ,हम नारियो के लिए ,
हम नारी है, ये बात अक्सर खुदको समझाती रहती हूं |
संभालना खुदको खुद ही पड़ेगा ,
कोई और तेरी खातिर तुझे न संभालेगा ||




© adhoore khwab