जी ले यारा दिन हैं चार (नज़्म)
जी ले यारा दिन हैं चार
कैसी नफ़रत कैसा प्यार
एक गया दिन दूजा आया
तिसरे दिन कुछ समझ न पाया
चौथे दिन है बेड़ा पार
जी ले यारा दिन हैं चार
कौन हमेशा क्या सोचेगा
रोज़ किसी को क्या रोकेगा
ये कह कर तुम रुक न जाना
ये टोकेगा वो टोकेगा
ये दुनिया की हाहाकार
जी ले यारा दिन हैं चार
सपने देखे, चुन न पाया
गीत लिखे थे, सुन न पाया
किसने सोचा था...
कैसी नफ़रत कैसा प्यार
एक गया दिन दूजा आया
तिसरे दिन कुछ समझ न पाया
चौथे दिन है बेड़ा पार
जी ले यारा दिन हैं चार
कौन हमेशा क्या सोचेगा
रोज़ किसी को क्या रोकेगा
ये कह कर तुम रुक न जाना
ये टोकेगा वो टोकेगा
ये दुनिया की हाहाकार
जी ले यारा दिन हैं चार
सपने देखे, चुन न पाया
गीत लिखे थे, सुन न पाया
किसने सोचा था...