...

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!!*इंसानियत मर रही है*!!
!!! *_इंसानियत मर रही है_* !!!

मैं देख रहा हूं कि दुनिया बदल रही है!
तरक्की के नाम पर, इंसानियत मर रही है !!

दूसरों की नजरों से,यह खुद को देख रही है !
रोशनी होते हुए भी, अंधेरे में जी रही है !!

मैं देख रहा हूं कि,दुनिया बदल रही है !!!

ज़िम्मेदारी खुद की ,दूसरों पर डाल रही है !
यह खुद ही-खुद से ,दूर भाग रही है !!

मैं देख रहा हूं कि, दुनिया बदल रही है !!!

नई खोज की और एक कदम बढ़ा रही है !
हकीकत में यह ,बर्बादी को ला रही है !!

मैं देख रहा हूं कि,दुनिया बदल रही है !!!

बदलते मौसम ,घटती जीव-जाती चिंता जता रही है !
सृष्टि हर बार हमें,चेतावनी दे रही है !!

मैं देख रहा हूं कि ,दुनिया बदल रही है !!!

" *आखिर कब तक इंसान तूं, सच्चाई से भागेगा* !
*अपने स्वार्थ के खातिर तूं ,दूसरों को सताएगा* ???
*इतिहास गवाह है; इंसान तूं आपस में लड,मर जाएगा* !
*जब भी तू इंसानियत से दूर भाग जाएगा* !! "

मैं देख रहा हूं कि दुनिया बदल रही है‌ !!
तरक्की के नाम पर, इंसानियत मर रही है !!!