...

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ये दुनिया छोड़ कर जा रही हूं मां
पता नही आज क्यों बहत याद आ रही हो ।
याद आ रही है आपकी कही हुई सारी बाते ।।
आपकी बातो में किन्ही खो गई हूं, ये जन्हा से गुमनाम हो गई हूं ।।
में खुद को बहत समझा रही हूं,, अंदर ही अंदर रो रही हूं ।।
आप सुन रहे हो ना मां....
ये दुनिया छोड़ कर जा रही हूं में । ये दुनिया छोड़ कर जा रही हूं ।।
ये दुनिया बहत खराब है मां, खराब है यहां की लोक ।।
खराब है इनकी चरित्र, खराब इनकी सोच ।।
इनके चेहरे से में अनजान हूं,अनजान हूं इनकी कृत्य से ।।
यहां मेरे जिस्म के भूखे है सब, भूखे है मेरे हुस्न से ।।
यहां प्यार के नाम पर धोका मिलता है, मिलता है 36 टुकड़े ।।
आंखो में पट्टी बांध कर सब बैठे हुए है,बैठे है खामोश हो कर ।।
शिकायत करू तो किसको करू,जज्बात बताऊं किसे ।।
यहां प्रश्न है आपकी तनुजा की, परश्न है लाखो दुहिता की ।।
मां आप सुन रहे हो ना..
यहां जीना मुस्किल हो रही है मां, यहां गुमनाम हो रही हूं में ।।
रो रही है मेरा दिल सुबक सुबक कर, यंहा दूषित हो रही हूं में ।।
"मां"
आपकी यादों में खुद को ढूंढ रही हूं ,,
ये जन्हा से अपना वजूद खो रही हूं ।।
एक लम्हा बात करने तरश रही हूं मां ,,
तराश रही हूं एक झलक पाने की ।।
आपकी लब्जो से एक लोरी सुनना चाहती हूं ,,
लोरी सुनते हुए ये पूरे कायनात घूमना चाहती हूं ।
आपकी गोद में एक बार फिर सोने आराहा हूं ,,
आप से आखरी इजाजत मांग रही हूं ।।
ये दुनिया छोड़ कर जा राहा हूं मां ।
ये दुनिया छोड़ कर जा राहा हूं।।
© _DILLIP KUMAR