ज़रा ठहर
ज़रा ठहर जिंदगी थोड़ा धीमे चल
उम्र का हर पड़ाव देखना बाक़ी है
नतमस्तक हो चूमे,जहाँ क़दम मेरा
ऐसा कुछ काम करना बाक़ी है
रिश्तों में बन्ध,रस प्रेम का चखना
अनुभव कुछ नया करना बाकी है
जब तक रहा ख़ुद के लिए जीया
खुद के लिए जी क्या हासिल किया
मन में बसा रखा था जो ख़ाब हमने
उस ख़ाब को साक्षात करना बाकी है
ज़रा ठहर जिंदगी थोड़ा धीमे चल
उम्र का हर पड़ाव देखना बाकी है
( S.k)
उम्र का हर पड़ाव देखना बाक़ी है
नतमस्तक हो चूमे,जहाँ क़दम मेरा
ऐसा कुछ काम करना बाक़ी है
रिश्तों में बन्ध,रस प्रेम का चखना
अनुभव कुछ नया करना बाकी है
जब तक रहा ख़ुद के लिए जीया
खुद के लिए जी क्या हासिल किया
मन में बसा रखा था जो ख़ाब हमने
उस ख़ाब को साक्षात करना बाकी है
ज़रा ठहर जिंदगी थोड़ा धीमे चल
उम्र का हर पड़ाव देखना बाकी है
( S.k)