...

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सिर्फ एक गलती
बचपन से लेकर बड़े होने तक "
जो माता-पिता हमेशा हमारी,
हर एक गलती को भुलाते है "
फिर कैसे और क्यों हम हर एक,
गलती पर अपने माता-पिता को "
हमेशा जी भर कर सुनाते है,
कहते है सही गलत की सीख हमे "
माता पिता ही सिखाते है, फिर कैसे,
बच्चे उन्हे ही सही गलत का पाठ पढ़ाते है "
क्या गलती करने का हक,
सिर्फ हम बच्चों का ही होता है "
एक गलती होने पर क्यों माता-पिता,
अपने ही बच्चो से हमेशा के लिए दूर हो जाते है "
कभी-कभी तो माता-पिता,
खुद भी अपनी गलती ना समझ पाते है "
तिनका-तिनका जोड़ कर अपने बच्चों के लिए,
वह मेहनत से घर आंगन बनाते है, फिर क्यों "
वही माता-पिता दूर कहीं वृद्धआश्रम मे छोड़े जाते है,
खुद वह बच्चे इतनी बड़ी गलती कर जाते है "
जो माता-पिता गलती से भी एक गलती कर दे,
बड़े ही शान से वह उन्हे आँख दिखाते है "
पता नही क्यों और कैसे बड़े होकर बच्चे,
अपने माँ-बाप को वृद्ध आश्रम पहुंचाते है "
गलती होने पर सबक सिखाने वाले,
अपनी खुद की गलती ही भूल जाते है "
लेकिन उसके बाद भी माता-पिता,
अपने बच्चों का कुछ कसूर ना बताते है "
शायद हमसे ही खता हुई है,
बेवजह तो हम वृद्ध आश्रम में ना आए है "
बैठे - बैठे वृद्ध आश्रम में भी वह,
बूढ़े माता-पिता बच्चों को दुआ दे जाते है "
शायद किसी ने सही कहा है,
तीन-चार बच्चों को अकेले संभालने वाले "
बूढ़े माता - पिता को मिलकर भी,
वह तीन-चार बच्चे ना संभाल पाते है "
तभी तो गलती करने की मोहर,
उनके माथे पर लगाते है और गर्व से "
उन्हे वृद्धआश्रम में छोड़ आते है,,,,,,,,॥


© Himanshu Singh