सिकंदर
देखो तो जरा खुद को भी अब कम मयस्सर हूं मै,
दास्तां लंबी है मगर अफसाना बड़ा मुख्तसर हूं मै,
जो भिगाए दिल की ज़मीं को तर बतर होने तक,
ऐसी फैजआब बारिश की हमेशा मुन्तजिर हूं...
दास्तां लंबी है मगर अफसाना बड़ा मुख्तसर हूं मै,
जो भिगाए दिल की ज़मीं को तर बतर होने तक,
ऐसी फैजआब बारिश की हमेशा मुन्तजिर हूं...