कभी तो याद आएगी ना तुम्हें मेरी
कभी तो याद आएगी ना तुम्हें मेरी
कैसे भूलोगी वो हमारा साथ
चंद दिन जो गुजारे थे हमने साथ
कैसे भूलोगी वो साथ
कभी तो याद आएगी ना तुम्हें मेरी
कैसे भूलोगी तुम वो मेरा हाँथ
याद है ना तुमने जिससे खाना खाया था
खाना तुमने खाया स्वाद मुझे आया था
कभी तो याद आएगी ना तुम्हें मेरी
कैसे भूलोगी मेरा तुम्हारे माथे को चूमना
और तुम्हें बेवजह ही मेरा निहारते रहना
तुम्हारे पूछने पर कि क्या हुआ जी ...
कैसे भूलोगी वो हमारा साथ
चंद दिन जो गुजारे थे हमने साथ
कैसे भूलोगी वो साथ
कभी तो याद आएगी ना तुम्हें मेरी
कैसे भूलोगी तुम वो मेरा हाँथ
याद है ना तुमने जिससे खाना खाया था
खाना तुमने खाया स्वाद मुझे आया था
कभी तो याद आएगी ना तुम्हें मेरी
कैसे भूलोगी मेरा तुम्हारे माथे को चूमना
और तुम्हें बेवजह ही मेरा निहारते रहना
तुम्हारे पूछने पर कि क्या हुआ जी ...