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स्वतंत्र हिंदुस्तान
सोने की चिड़िया था कहलाता पूरब का देश एक,
एकता का था संबल जहाँ, और विविधताएं थी अनेक।
देवभूमि, वेदों की धरती, इस्लाम का सम्मान था,
सिख, बौद्ध और जैनों का एकजुट हिंदुस्तान था ।

जाने किसकी नज़र लगी, पलट गयी तकदीर जब,
बंध गयी पैरों में इसके गुलामी की जंज़ीर तब।
गले लगाकर अंग्रेजों ने छुरा भोंका था पीठ में ,
जल गया स्वाभिमान अपनों की ही अंगीठ में ।

200 सालों का संघर्ष, नहीं एक रात का खेल था,
अंग्रेज़ों के महल से प्यारा, वीरों को तो जेल था।...