...

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उस के कंधे पे सर रखकर रोऊं।
खुद की गुस्ताखियां अब मुझे चुभती भी हैं,
अपनी ही वजह से परेशानियां भुगती भी हैं,
इस हाल में हूं, दर्द मेरा अब कोई बंटाए ना,
काश कंधे पे सर रखके रोऊं उसके और वो हटाए ना।।
ख्वाहिश उसकी थी साथ-साथ चलने...