...

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ये घोर कलयुग है....
किसी ने कहा -

मन शबरी जैसा धैर्यवान होगा तो भगवान
आपके पास आएंगे।
जो अपने मन को केकई बना लिया तो आप
मंथरा का त्रास पाएंगे।

पर ये घोर कलयुग है यहां सबकुछ उल्टा होता है।
पता है आसूं पोंछने वाला कोई नहीं पर मन रोता है।

आप धैर्यवान हैं तो लोग आपको पायदान बना लेते हैं।
पैरों के नीचे कुचल कर वो जिंदगीभर का दर्द देते हैं।

यहां केकई जैसा स्वार्थ तो बहुत ही आम सी बात है।
राम की सुबह तो नहीं बस मंथरा की कुटिल रात है।

यहां हर दिल एक दूसरे के लिए नफरत पाले बैठा है।
जैसे हम सुनहरी मछली हैं और वो कांटा डाले बैठा है।

यहां भगवान नहीं आते कितना भी धैर्यवान बने रहो।
ये घोर कलयुग है जीना है तो बस अनजान बने रहो।

किसी का भला करो तो ना सोचो वो भी भला करेगा।
भला करो और भूल जाओ कि बदले में क्या मिलेगा।

क्योंकि बदला लेने की ताक में तो यहां हर कोई बैठा है।
आप किस किस को मनाओगे यहां तो अपना ही रूठा है।

by Santoshi