...

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तुम कहते रहे
तुम कहते रहे हम
साथ है।
फिर ये अकेलापन कैसा?
तुम कहते रहे हम
हर परिस्थिति में पास है।
फिर ये सुनापन कैसा?
तुम कहते रहे हम
तुमसे दूर ना रह पाएंगे।
फिर ये दूरियां कैसा?
तुम कहते रहे हम
तुम्हें बेपनहा चाहेंगे।
फिर ये अजनबी पन कैसा?
तुम कहते रहे हम
ख्याल रखेंगे।
फिर ये बेख्यालपन कैसा?
चलो मान लिया लोग बातों से मुकर जाया करते है।
तुम तो दिल से ही मुकर गए।
ये उम्मीद भी ना थी हमें।
तुम इस क़दर बदल गए....
© shubhashini singh