नर से भारी नारी
कविता- नर से भारी नारी
एक नहीं दो दो मात्राएं,नर से भारी नारी है
कोख तेरी तेरी परिभाषा,रूप तेरा जग जारी है
कहा गया क्यों अबला तुझको
रखा गया पर्दा पीछे,
घर आगन में जब तुम आई
मिला बधाई मन भींचे,
सृष्टि का आधार तुम्हीं है ,जगती का उजियारी है।
एक नहीं दो दो मात्राएं,नर से भारी नारी है।
कभी तु बेटी कभी बहू तू
कभी मां बन जाती सांस,
दिल में तू ममता की...
एक नहीं दो दो मात्राएं,नर से भारी नारी है
कोख तेरी तेरी परिभाषा,रूप तेरा जग जारी है
कहा गया क्यों अबला तुझको
रखा गया पर्दा पीछे,
घर आगन में जब तुम आई
मिला बधाई मन भींचे,
सृष्टि का आधार तुम्हीं है ,जगती का उजियारी है।
एक नहीं दो दो मात्राएं,नर से भारी नारी है।
कभी तु बेटी कभी बहू तू
कभी मां बन जाती सांस,
दिल में तू ममता की...