...

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सिया राम....
मुग्ध भयीं जनक दुलारी रहीं राम छवि निहार,
रही न सुध जा तन की मन हि मन करैं विचार;
सुमिरत माता गिरिजा को सुन लो अरज हमार,
इह सुकुमार बनै मोरे स्वामी विनती बारम्बार।

सखियां खींचैं चल रे सखी काहे को...