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#जिंदगी
जिन्दगी में निराशा के सिवा
मुझे अभी तक कुछ मिला ही नहीं।।
जिसे ही दिलों जान से चाहा
वहीं मेरे हाथ आज़ तक लगा ही नहीं।
मुझसे मोहब्बत ने जब मुंह फेरा
तो किताबों से इश्क़ भरपूर करना चाहा,
अब तो डर है कहीं ऐ किताबें भी हाथ से न छूट जाए
हर हार मेरी जीत की आश को समाप्त कर रही है।।
मेरे ज़िंदगी का हर मकसद अब अधूरा ही रहेगा,
अपना खामोशी दर्द असफलता का ही फसाना है।।
(गिरि कि कलम से ✍️😥)
© All Rights Reserved
मुझे अभी तक कुछ मिला ही नहीं।।
जिसे ही दिलों जान से चाहा
वहीं मेरे हाथ आज़ तक लगा ही नहीं।
मुझसे मोहब्बत ने जब मुंह फेरा
तो किताबों से इश्क़ भरपूर करना चाहा,
अब तो डर है कहीं ऐ किताबें भी हाथ से न छूट जाए
हर हार मेरी जीत की आश को समाप्त कर रही है।।
मेरे ज़िंदगी का हर मकसद अब अधूरा ही रहेगा,
अपना खामोशी दर्द असफलता का ही फसाना है।।
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