छोटी छोटी गलतफहमियां
के पाल रखी हैं हमने इस दिल में इतनी गलतफहमियां
के इन्हें मिटाने का सिलसिला शुरू कर दूं अगर
तो कमबख्त जिंदगी का मेरा एक दशक गुज़र जाए पर सोचता हूं कि जिंदगी के सफर में मैंने अगर इन गलतफहमियों को ना पाला होता तो मेरे दोस्त आज मेरे दिल का मकान खाली और उसके दरवाजे पर ताला होता
मेरी जिंदगी जो आज बसंत के फूलों से खिलखिलाती है इसमें यही गलतफहमियां अपनी अहम भूमिका निभाती है वरना इस दुनिया में कौन किसका यार प्यार आशिक भाई और बेटा है इन सभी रिश्तों को गलतफहमी के धागों ने समेटा है पर सोचता हूं कि अगर मैंने इन गलतफहमियों को ना पाला होता मेरी जिंदगी का अध्याय कुछ भयानक और निराला होता गलतफहमियों के बिना जीने की कल्पना करना ही मेरे मन को डर का एहसास कर देता है वरना जिस दिन इन गलतफहमियों के धागों की डोर टूटेगी मेरे आंखों में से आंसुओं का सैलाब आएगा जिसमें मेरे दिल की सारी गलतफहमियां बह जाएगी पर जब कभी फुर्सत में सोचूंगा कि अगर मेरी जिंदगी में यह तूफान क्यों आया तब मेरे दिल ने मुझे बताया कि जब तूने अपने दिल के मकान में क्रोध ईर्ष्या द्वेष को किराए पर रखा था यही तेरी जिंदगी का सबसे बड़ी भूल थी यही तूने मुंह की खाई थी लालच और स्वार्थ नाम के राक्षसों ने जब तुझे फसाया था तेरे दिल का मकान तो तभी ही बह गया था सैलाब तो एक बहाना था
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के इन्हें मिटाने का सिलसिला शुरू कर दूं अगर
तो कमबख्त जिंदगी का मेरा एक दशक गुज़र जाए पर सोचता हूं कि जिंदगी के सफर में मैंने अगर इन गलतफहमियों को ना पाला होता तो मेरे दोस्त आज मेरे दिल का मकान खाली और उसके दरवाजे पर ताला होता
मेरी जिंदगी जो आज बसंत के फूलों से खिलखिलाती है इसमें यही गलतफहमियां अपनी अहम भूमिका निभाती है वरना इस दुनिया में कौन किसका यार प्यार आशिक भाई और बेटा है इन सभी रिश्तों को गलतफहमी के धागों ने समेटा है पर सोचता हूं कि अगर मैंने इन गलतफहमियों को ना पाला होता मेरी जिंदगी का अध्याय कुछ भयानक और निराला होता गलतफहमियों के बिना जीने की कल्पना करना ही मेरे मन को डर का एहसास कर देता है वरना जिस दिन इन गलतफहमियों के धागों की डोर टूटेगी मेरे आंखों में से आंसुओं का सैलाब आएगा जिसमें मेरे दिल की सारी गलतफहमियां बह जाएगी पर जब कभी फुर्सत में सोचूंगा कि अगर मेरी जिंदगी में यह तूफान क्यों आया तब मेरे दिल ने मुझे बताया कि जब तूने अपने दिल के मकान में क्रोध ईर्ष्या द्वेष को किराए पर रखा था यही तेरी जिंदगी का सबसे बड़ी भूल थी यही तूने मुंह की खाई थी लालच और स्वार्थ नाम के राक्षसों ने जब तुझे फसाया था तेरे दिल का मकान तो तभी ही बह गया था सैलाब तो एक बहाना था
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