...

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मै भी था
मिला खुद को सजा गलत मै भी था
झूठी मुस्कान के पीछे वाला दर्द मै भी था
मै कोसता रहा जमाने को उसके अतीत मै भी था
वोह हार के गिर गई गिराने मै, मै भी था
मिला खुद को सजा गलत मै भी था


वोह पूछती रही कौन था वोह मै दिलासे देने मै ,मै भी था
सच का रास्ता था मेरे पास पर झूठ का मकान दिलाने मै ,मै भी था
वोह रोती रही सारी रात मै मोहबत मै भी था
वोह सोचती होगी बेगरित वाली रात जिसका हकदार मै भी था
मिला खुद को सजा गलत मै भी था

आखिरी वक़्त का पैगाम मै ज़िक्र मै भी था
उसकी खुशी का कातिल मै भी था
उसके रूठ के जाने का हकदार मै भी था
मिला खुद को सजा गलत मै भी था


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