...

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tum or मैं,
तुम और मैं कब हम हो गए ,
वक्त के साथ पता ही नही चला। वक्त कब कहा ले जाए ये तो वक्त को ही पता हैं, तुम कितनी भी कोशिश कर लो होगा वही जो न तुमको पता हैं न मुझको, तब भी क्यों बार बार तुम वही करते हों जो हमको बुरा लगता हैं,
क्यों करते हो??
तुम और मै कब तक हम हैं ,ये तो बस वक्त को पता हैं न,
क्योंकि हम वही कर सकते हैं जो हमारे हाथ मै हैं,
पर कभी कभी जीवन मै कुछ परिस्थिति हमारे नजर सै दूर होती हैं सोच सै दूर जो न कभी सोचा हों,



पर मेरा मानना हैं अगर हम जो चाहे वो कर सकते हैं,
ये तो बस बहाने होते हैं,
तुम चाहो जो कर सकते हो, क्योंकि प्रकृति भी वही करती हैं जो हम चाहते हैं,
ये बस सामने वाले को संतुष्ट करने के लिए हैं, की ये मेरे हाथो मै नही था, और सामने वाले को बस एक अंधकार मै रख सको,
।। मेरे शब्द।।