काश
काश मोहब्बत को हुबहू लिखा जाता
काश तुम्हें दिल खोलकर दिखा पाता
काश नकाब पीछे तुम मुझे देख पाती
काश तुम्हें नकाब हटाकर दिखा पाता
काश मेरी कलम का, दिल नहीं होता
काश जोकर दिल ये, कभी नहीं रोता
काश मेरे अल्फाज यूं तुम रोज़ पढ़ती
काश दरमियां नजदीकियां रोज...
काश तुम्हें दिल खोलकर दिखा पाता
काश नकाब पीछे तुम मुझे देख पाती
काश तुम्हें नकाब हटाकर दिखा पाता
काश मेरी कलम का, दिल नहीं होता
काश जोकर दिल ये, कभी नहीं रोता
काश मेरे अल्फाज यूं तुम रोज़ पढ़ती
काश दरमियां नजदीकियां रोज...