नहीं चले जो पुत सिया के कदमों पर
नहीं चले जो पुत सिया के कदमों पर
वह एक दिन पछताएगा
बीते समय की आंसू लेकर
दिन-हिन रह जाएगा
नहीं चले जो पुत,,,,,
कठपुतली बना कर लोग उसको
उंगली पर नाच कराएगा
गलत रंगत में ढाल कर उसका
फायदा खूब उठाएगा
नहीं चले जो पुत,,,,,
हंसी-खुशी सारा जीवन
आंसुओं के धारों में बहाएगा
पांव में घुंघरू बांध कर उसका
नर्तक सा नाचाएगा ...
वह एक दिन पछताएगा
बीते समय की आंसू लेकर
दिन-हिन रह जाएगा
नहीं चले जो पुत,,,,,
कठपुतली बना कर लोग उसको
उंगली पर नाच कराएगा
गलत रंगत में ढाल कर उसका
फायदा खूब उठाएगा
नहीं चले जो पुत,,,,,
हंसी-खुशी सारा जीवन
आंसुओं के धारों में बहाएगा
पांव में घुंघरू बांध कर उसका
नर्तक सा नाचाएगा ...