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पीड़ा पर्वत सा लगता है
पीड़ा पर्वत सा लगता है सुख नदिया का पानी रे ।
बूढ़े पन में बहु पछताया कैसे बही जवानी रे ।। बचपन के दिन खेल कूद में, कैसे गए कुछ पता नहीं। जवानी के उगते सूरज कब डूब गए कुछ पता नहीं। चांद सरोवर में देखा तो जागी बड़ी रवानी रे ।।
पीड़ा पर्वत सा...