अंधेरा
ज़िंदगी से भाग रहा हूँ मैं, थक गया हूँ जीने से,
अंधेरों में खो जाना है, दूर दुनिया की भीड़ से।
न कोई रौशनी, न कोई साथ, बस एकांत का आगोश,
जहाँ न कोई पुकारेगा, न कोई लेगा मेरा होश।
टूट चुका हूँ मैं...
अंधेरों में खो जाना है, दूर दुनिया की भीड़ से।
न कोई रौशनी, न कोई साथ, बस एकांत का आगोश,
जहाँ न कोई पुकारेगा, न कोई लेगा मेरा होश।
टूट चुका हूँ मैं...