डर।
मैं गिरूंगा, और गिर के संभल जाऊंगा
मैं अगर थक भी गया, तो भी तुम्हारी तरह घर तो नाही जाऊंगा।
न जाने किन कश्मकश, और रास्तों से आया हु मैं निकल कर,
और तुम को डर हैं मैं कहीं खो तो नही जाऊंगा।
शाम आने पर, मैं सितारों और जगनुओ से कर लूंगा दोस्ती,
बड़ा खुदगर्ज हू,...
मैं अगर थक भी गया, तो भी तुम्हारी तरह घर तो नाही जाऊंगा।
न जाने किन कश्मकश, और रास्तों से आया हु मैं निकल कर,
और तुम को डर हैं मैं कहीं खो तो नही जाऊंगा।
शाम आने पर, मैं सितारों और जगनुओ से कर लूंगा दोस्ती,
बड़ा खुदगर्ज हू,...