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badlaav
यूं तो नफरत है मुझे हर एक बदलाव से,
पर दुनियां चलती भी तो नहीं ठहराव से,
मन तो करता है मैं भी घूमूं बेफिक्र होकर,
पर डर भी तो लगता है मुझे अलगाव से,
हसरतों को दिल में सजा कर,
संदेह को किसी कोने में दबाकर,
अपनी भी एक दुनिया बनाऊंगा,
उम्मीद तो करता हूं बड़े प्यार से,
इस उम्मीद की कोई किरण तो नहीं,
पर उजाले का मुझे इंतजार है,
थक गया हूं मैं अब बहुत,
कोफ्त होती है इस इंतजार से,
यादों के हथियार से भावनाओं पर चोट करता हूं,
पर दिल छलनी हो जाता है इसकी मार से,
जैसे बंद दरवाजे खुलते तो चाबी से ही हैं,
बस टूट ही सकते हैं किसी औजार से,
और कैसे हो अगर पूछोगे किसी बीमार से,
ऐसे प्रश्नों के उत्तर भी तो मिलेंगे बेकार से,
जैसे को तैसा कहो या टिट फॉर टैट कहो,
जो दोगे वही वापस पाओगे इस संसार से,
क्यों बनकर रहते हो लाचार से,
जबकि एक सोच की दूरी पर हो,
जीतते थे वो भी तो तुम थे,
अब हारते हो वो भी तो तुम हो,
हारकर कभी सवाल किया है क्या खुद से,
क्या सचमुच तुम किसी से कम हो,
जीत का जज्बा ही नहीं रहा,
यह सचमुच में अब बेदम हो,
परेशान हो गया हूं इन सब सवाल से,
फिर भी मन को समझाता हूं इत्मीनान से,
क्या करूं यार नफरत है मुझे बदलाव से,
पर जानता हूं कि दुनिया नहीं चलती है ठहराव से......
- cursedboon
@cursedboon
© cursedboon
पर दुनियां चलती भी तो नहीं ठहराव से,
मन तो करता है मैं भी घूमूं बेफिक्र होकर,
पर डर भी तो लगता है मुझे अलगाव से,
हसरतों को दिल में सजा कर,
संदेह को किसी कोने में दबाकर,
अपनी भी एक दुनिया बनाऊंगा,
उम्मीद तो करता हूं बड़े प्यार से,
इस उम्मीद की कोई किरण तो नहीं,
पर उजाले का मुझे इंतजार है,
थक गया हूं मैं अब बहुत,
कोफ्त होती है इस इंतजार से,
यादों के हथियार से भावनाओं पर चोट करता हूं,
पर दिल छलनी हो जाता है इसकी मार से,
जैसे बंद दरवाजे खुलते तो चाबी से ही हैं,
बस टूट ही सकते हैं किसी औजार से,
और कैसे हो अगर पूछोगे किसी बीमार से,
ऐसे प्रश्नों के उत्तर भी तो मिलेंगे बेकार से,
जैसे को तैसा कहो या टिट फॉर टैट कहो,
जो दोगे वही वापस पाओगे इस संसार से,
क्यों बनकर रहते हो लाचार से,
जबकि एक सोच की दूरी पर हो,
जीतते थे वो भी तो तुम थे,
अब हारते हो वो भी तो तुम हो,
हारकर कभी सवाल किया है क्या खुद से,
क्या सचमुच तुम किसी से कम हो,
जीत का जज्बा ही नहीं रहा,
यह सचमुच में अब बेदम हो,
परेशान हो गया हूं इन सब सवाल से,
फिर भी मन को समझाता हूं इत्मीनान से,
क्या करूं यार नफरत है मुझे बदलाव से,
पर जानता हूं कि दुनिया नहीं चलती है ठहराव से......
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