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खामोश ख्वाहिशें 🤡
दिल है धुंआ धुंआ, क्यूं आग जल नहीं रही
याद आ रही बहुत, क्यूं शाम ढल नहीं रही
इकपल कि दूरियां कभी, नामंजूर थी जिसे
क्यों मेरी कमी उसे, है आज खल नहीं रही
पता नहीं वजह है क्यों, झूठ कह रहा है वो
ख्वाहिशें खामोश हैं वो अब मचल नहीं रही
तुझसे जुड़ी हर चीज , फेंककर मैं आ गया
तस्वीर दिल में छपी है, वो निकल नहीं रही
दर्दे दिल की जो गज़ल ताउम्र लिखता रहा
दास्तां है बन चुकी अब वो गज़ल नहीं रही
शमा जलाती रही जिस मोहब्बत से जोकर
पत्थर की हो चुकी अब वो पिघल नहीं रही
🤡❣️🤡
© Dr. JokerJoker
याद आ रही बहुत, क्यूं शाम ढल नहीं रही
इकपल कि दूरियां कभी, नामंजूर थी जिसे
क्यों मेरी कमी उसे, है आज खल नहीं रही
पता नहीं वजह है क्यों, झूठ कह रहा है वो
ख्वाहिशें खामोश हैं वो अब मचल नहीं रही
तुझसे जुड़ी हर चीज , फेंककर मैं आ गया
तस्वीर दिल में छपी है, वो निकल नहीं रही
दर्दे दिल की जो गज़ल ताउम्र लिखता रहा
दास्तां है बन चुकी अब वो गज़ल नहीं रही
शमा जलाती रही जिस मोहब्बत से जोकर
पत्थर की हो चुकी अब वो पिघल नहीं रही
🤡❣️🤡
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