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...तेरा ऐहसास ...
By Nidhi...

तुम तन्हाईयां बख्शोगे, मुझे वो भी मंजूर है
बस कह देना, दिल से दी है...

चलो धोखा ही था तुम्हारा इश्क़, सब झूठ था तो झूठ अपनी जुबां को कहने देते..
मैं खुश थी, मुझे धोखे में ही रहने देते…

खाली नही है नामौजूदगी तेरी,
ये भरी हुई है तेरी हर याद से,
तुझसे कही थी जो मैने हर उस बात से,
जाना ! भरी हुई है नामौजूदगी तेरी
किनारों तक तेरे ऐहसास से..

तनहाई कहां है ये कोई, तेरा ख्याल जो दिलो दिमाग पर है
मैं अकेली हूं तन्हा नहीं, तेरी यादों का हाथ मेरे हाथ पर है..
बातें भी करती है मेरी आंखें, अश्कों के जरिए हर टूटे ख्वाब से,
जाना ! भरी हुई है नामौजूदगी तेरी
किनारों तक तेरे ऐहसास से...

मेरी जुल्फें नाराज़ हैं की तु कहां है,
मेरी खुशियां उदास हैं की तु कहां है
अरसा हुआ है चांद खिला नही है मेरे आसमान में,
तारों की आवाज है की तु कहां है..
मांगती है खबर तेरी, मेरी हालत हर इंसान से,
जाना ! भरी हुई हैं नामौजूदगी तेरी किनारों तक तेरे ऐहसास से....

तू नही था तो पन्नों में सफर करने गई,
पन्नों के बीच रखा था तूने दिया था जो उस गुलाब पर नज़र ठहर गई..
अब न कोई महक है न कोई नूर इस कमबख्त में,
यूं तो इस सूखे गुलाब सा ही है बेजान मेरा दिल,
एक बस तेरे नाम का है अब भी गुरूर इस कमबख्त में..
जिंदा है सब खोकर भी ये गुलाब, ये दिल,
जाने किस आस से,
जाना ! भरी हुई हैं नामौजूदगी तेरी किनारों तक तेरे ऐहसास से....

इस कमरे का जो ये कोना है
याद है मुझे जब यहां तु करीब मेरे आया था,
मेरी उंगलियों से अपनी उंगलियां उलझाकर तु मेरी तरफ देख मुस्कुराया था..
होले से मुझे अपनी ओर कर, तु लबों को कानों तक लाया था,
तु चली गई तो रह नही पाऊंगा, ये कह कर तूने मुझे सीने से लगाया था..
अब जो तु नही है तो गूंजता है ये कोना भी
तेरी उस आवाज़ से
जाना !
भरी हुई हैं नामौजूदगी तेरी किनारों तक तेरे ऐहसास से....
By Nidhi