...

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मुहर्रम
अल्लाह ने फुर्सत से देखा ,
इस्लाम का हर वजूद
कर्बला की जंग में बार-बार ,
दिल में सुकून न पाएं
इमाम हुसैन की सच्ची शहादत
ज़हन में नमाज़ी लेकर ,
मज़ार पर लाखों सदका पढ़ें
फिर अफ़सोस-ग़म सदा
अंदर-बाहर खलता रहें ।

या हुसैन हम तो तेरे ही
नेक बंदे पाक फ़रिश्ते
खेलते हैं, पुरी शिद्दत से
ताजिया-जुलूस मुहर्रम पर
ख़ुदको लहूलुहान कर के
तेरे हवाले किया है ,
फिर कहा दर्द सिसकता है ।।

© -© Shekhar Kharadi
तिथि- ९/८/८/२०२२, अगस्त

आज मुहर्रम के यौम-ए-आशूरा पर हम सभी को हज़रत इमाम हुसैन के शहादत को याद करते हुए सच्चाई, इंसाफ़, हक़ और बराबरी के लिए आवाज़ बुलंद करने की इबरत लेनी चाहिए। ज़ुल्म और झूठ के ख़िलाफ़ उनकी शहादत हमेशा जीवन्त और प्रेरणादायक मिशाल है ।