...

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शब्दों के प्रहार
चोट लगी है दिल को मेरे शब्दों के प्रहार से
डर लगता है अब उस मरहम की उपहार से

जाने कब धोका मिले मोहब्बत की दुकान में
तंग आ गया अब मैं, उस मिलती हुई हार से

वो सच्चे मोहब्बत का ढोंग रचाकर आ जाए
और न जाने मन को लुभा लें झूठे इज़हार से

बच के रहना है कोई खेल न जाए दिल से मेरे
घायल न कर दें क़ातिल निगाहों की निहार से

यूँ बिकता है मोहब्बत उल्फ़त की बाज़ार में
दूर ही रहना अच्छा है इश्क़ की व्यवहार से
© Raj
#shreerajmenon