...

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यह जिंदगी
यह जिंदगी!
कभी सवाल
करती है, तो
कभी जवाब
खंगालती है।
टेढ़ी-मेढ़ी
पगडंडियों से गुजरते,
कभी शुकुन की
सांसे भरते,
मुस्कुराती है
तो कभी
दुर्दिन के पलों
को याद कर
वेदनाओं मे घिर कर
आहें भरती है,
कराह उठती है।

इसी आह और
वाह की
दो किनारों के बीच
आदि से लेकर
अंत तक
जीवन की
नइया का
अनंत सफर
जारी था!
जारी है!
संभवत: रहेगा!

© मृत्युंजय तारकेश्वर दूबे।

© Mreetyunjay Tarakeshwar Dubey