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#चांद
क्या खूब है चांद भी
ना घूंघट,ना बुर्का
कभी ग्रहण बन कर लग जाता है
तो कभी करवाचौथ पर सज जाता है
कभी ईद का हो जाता है
रहता ये अगर जमीन पर
तो टूट जाता विवादो में
बन जाता सुर्खियां अखबारों में
है शुक्र जो वो आसमान में खो जाता है
बादलों की गोद में सो जाता है
इसलिए तो वो जमीन पर
कविताओं में महफूज पाया जाता है
और गजलों में सुनाया जाता है।।
_neerawrites
@Writco
© All Rights Reserved
ना घूंघट,ना बुर्का
कभी ग्रहण बन कर लग जाता है
तो कभी करवाचौथ पर सज जाता है
कभी ईद का हो जाता है
रहता ये अगर जमीन पर
तो टूट जाता विवादो में
बन जाता सुर्खियां अखबारों में
है शुक्र जो वो आसमान में खो जाता है
बादलों की गोद में सो जाता है
इसलिए तो वो जमीन पर
कविताओं में महफूज पाया जाता है
और गजलों में सुनाया जाता है।।
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