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करके देखो
राधा राणा की कलम से ✍️
मन का मंथन करके देखो।
थोड़ा चिंतन करके देखो।
अहम तुम्हारा मिट जाएगा,
सर अभिनंदन करके देखो।
शत्रु ,मित्र सब हो जाएंगे,
क्रोध को चंदन करके देखो।
कर्म वेदी में तप कर थोड़ा ,
खुद को कुंदन करके देखो।
कंचन काया थोड़े दिन की,
मन को कंचन करके देखो।
कष्टकारी हैं काम, क्रोध,लोभ,
मुक्त ये बंधन करके देखो।
मन का मंथन करके देखो।
थोड़ा चिंतन करके देखो।
अहम तुम्हारा मिट जाएगा,
सर अभिनंदन करके देखो।
शत्रु ,मित्र सब हो जाएंगे,
क्रोध को चंदन करके देखो।
कर्म वेदी में तप कर थोड़ा ,
खुद को कुंदन करके देखो।
कंचन काया थोड़े दिन की,
मन को कंचन करके देखो।
कष्टकारी हैं काम, क्रोध,लोभ,
मुक्त ये बंधन करके देखो।
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