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पतंग
जिन्दगी की पतंग रंग बिरंगी
सबकी अपनी-अपनी है
आसमान भी सबका है
सबकी उङान है ऊँची ऊँची ।
कोमल कोमल रिश्तों के धागे
पर मांझे है धार युक्त
मन सबका है दाव युक्त
मांझे से कट जाते रिश्तों के धागे।
कटी पतंग का कोई मार्ग नही होता
जीवन उसका तन्हाई है
डोर नयी जुङती संघर्षो से है
पर घायल रिश्तों में मान नही होता।
© Rakesh Kushwaha Rahi
सबकी अपनी-अपनी है
आसमान भी सबका है
सबकी उङान है ऊँची ऊँची ।
कोमल कोमल रिश्तों के धागे
पर मांझे है धार युक्त
मन सबका है दाव युक्त
मांझे से कट जाते रिश्तों के धागे।
कटी पतंग का कोई मार्ग नही होता
जीवन उसका तन्हाई है
डोर नयी जुङती संघर्षो से है
पर घायल रिश्तों में मान नही होता।
© Rakesh Kushwaha Rahi
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