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क्या चाहिए
क्या चाहिए यह समझ नहीं पाते
पूरी भरी रहे जो हिस्सा
हम इंसान
उस हिस्से को भी भर नहीं पाते,
जो मिल जाए उसे रखते नहीं पाते ,
और जो ना मिले
उसको याद करते रहते हैं,
अब देखो ना
सर्दियों में बस गर्मी की याद आती है
और भीषण गर्मी में तो
ठिठुरन वाली सर्दी की याद सताती है,
क्या चाहिए यह समझ नहीं पाते,
© Meeru #writco #writcoapp #WritcoQuote #meerakumarmeeru #writer #poetrycommunity #poem
पूरी भरी रहे जो हिस्सा
हम इंसान
उस हिस्से को भी भर नहीं पाते,
जो मिल जाए उसे रखते नहीं पाते ,
और जो ना मिले
उसको याद करते रहते हैं,
अब देखो ना
सर्दियों में बस गर्मी की याद आती है
और भीषण गर्मी में तो
ठिठुरन वाली सर्दी की याद सताती है,
क्या चाहिए यह समझ नहीं पाते,
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