...

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देख रहा है ना बिनोद
देख रहा है ना बिनोद ऐ तू देख रहा है ना बिनोद
सब खुल्लम-खुल्ला हो रहा ना कोई कहीं विरोध...

ना कोई कहीं विरोध, बिक रहा झूठ सब जगह
किसे छुपाऊं किसे बताऊं मची है लूट सब जगह...

मची है लूट सब जगह ये फंदा सा कसता जाता
इस महंगाई, बेकारी, से गरीब ही फंसता जाता...

गरीब ही फंसता जाता, जेब पर बोझ है भारी
अब कैसे कैसे ख़र्च चलाएं, हाय कैसी लाचारी...

हाय कैसी लाचारी, अब नेता सब मौज ले रहे
धूल...