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भारतीय मेहमान:)
India ke liye, ye poem padna toh
banta h....
my first Hindi poem welcomes u,

यह दुनिया में जन्मी हूँ मै,
जो अनंत, अनदेखी, अनजान है.
है बहुत खूबसूर्तियों से भरी,
मन में हर देश के लिए सम्मान है
पर दिल में तोह है भारत बसा,
जहां हर दिन एक तूफ़ान है,
गलियों में गाली-गलोच है,
सड़क पर कुछ ऐसे लोग है,
जिनकी सोच ही अजीब है,
कुछ खास सम्मान नहीं है,
किसी चीज़ का ध्यान नहीं है.
हर कदम पर जुगाड़ चलती है
लोगो की बड़े-बड़े लोगो से बनती है.
जिनके नाम पर सड़के है,
यहाँ लोग थोड़े सटके, है
जहाँ किसी की चलती नहीं,
सब अपने मन की करते है.
भाईचारा दिखाने का तरीका ऐसा है,
लोग कदम-कदम पर लड़ते है
यहाँ छेड़-छाड़ हुई तोह
फिर तोह पडते फटके है.
अन्ततः है तोह अनोखा
मगर उतना ही अपना है
जहाँ हर किसी की आँखों में
सफलता का सपना है.
यहाँ सब तोह नहीं लेकिन
कुछ लोगो में ऐसा जोश है
जो देश के लिए कुछ ऐसा कर जाए
इसे एक मुकाम तक पहुंचाए,
माना पीछे है मगर,
इसमें अपना अलग ही मज़ा है
हर घर में हीटर नहीं है,
लेकिन माँ के हाथ बुनी स्वेटर...