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आदर्श की दौड़
रात्रि घनी हैँ.
गगन तारो से भरा हैँ. सर्द हवाए बह रही
राह निर्जन हैँ सर्वत्र खामोशी पसरी हैँ.
वृक्ष तले अंधेरों का आयतन बड़ा हुआ हैँ
अब इस शांत शून्य सुखद रात्रि मे जीना कितना सुखद और आनंद दायी हैँ
क्यिंकि यहां ख्वाहिशों और आदर्शो के लिए सभी दौड़े स्थगित हैँ

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