सफर
मुस्कुरा कर चलो ,राह अभी दूर है
ग़म के किस्से हर गली में मशहूर हैं।
चंद दुकानें है रास्ते में,कुछ लेते चलो,
दिल बहलाने के बहाने यहां भरपूर है।
मुसाफिर हो,सफर को मंजिल समझ बैठे हो,
तुम्हरा कसूर कहा,हर कोई इसी नशे में चूर है
आए थे कहा से,जाना किधर है
बिना रुके ये सफर जारी बदस्तूर है।
कोई राही मिले तो थाम लेना हाथ,
अकेले सफर का ये कौन सा फितूर है
© STOIC
ग़म के किस्से हर गली में मशहूर हैं।
चंद दुकानें है रास्ते में,कुछ लेते चलो,
दिल बहलाने के बहाने यहां भरपूर है।
मुसाफिर हो,सफर को मंजिल समझ बैठे हो,
तुम्हरा कसूर कहा,हर कोई इसी नशे में चूर है
आए थे कहा से,जाना किधर है
बिना रुके ये सफर जारी बदस्तूर है।
कोई राही मिले तो थाम लेना हाथ,
अकेले सफर का ये कौन सा फितूर है
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