...

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विश्व हिंदी दिवस
अंत नहीं अन्नत तक बसेरा
सभी जन मिलकर करेंगे जग फेरा
उनकी भाषा का दिवस बना हैं
बोली का चला है मंतव्य गहरा
शब्द कम है बोल अनेक रंग से भरे
एक स्वर भी मीठे की धन्य वाद कहे
वाद इन्ही से सम्भव
इतनी प्रेम भरी भाषा
जिसका अनुवाद भी मन झलक बतलाता
हिन्दी एक प्यारी भाषा
हर व्यंजन का इससे खुब गहरा नाता
नहीं शर्म आती
क्युकी हर एक बोल इससे बने मेरी ख्याति
बढे आवाज हर ओर
हिंदुस्तान ही नहीं सारे गुलिस्तान का करे प्रभोर
आज हिन्दी बोल बोली मुख मिश्री घोल रही
सारे जगत में हिन्दी भाषा बोल चली
© 🍁frame of mìnd🍁