...

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विश्व हिंदी दिवस
अंत नहीं अन्नत तक बसेरा
सभी जन मिलकर करेंगे जग फेरा
उनकी भाषा का दिवस बना हैं
बोली का चला है मंतव्य गहरा
शब्द कम है बोल अनेक रंग से भरे
एक स्वर भी मीठे की धन्य वाद कहे
वाद इन्ही से सम्भव
इतनी...