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मुट्ठी भर ख़्वाहिश
राहों में हर मुश्किल का सामना कर ख़ुद को सँवारता हूँ,
मैं हरदम जमीं से जुड़े रहकर ही अपना आसमां ढूँढता हूँ।
जब भी गौर से देखूँ मुझे औरों में खूबियाँ ही नजर आती है,
और बेहतर बनने के लिए मैं ख़ुद में ही कमियाँ खोजता हूँ।
गर ये जीवन इँसानियत के काम आ सकें तो क्या बात हो,
मैं तो ख़ुदा से मुझसे जुड़े हर व्यक्ति की खुशियाँ माँगता हूँ।
जो भी जितना भी मुझे दिया है जीवन में ख़ुदा का शुक्रिया,
लाख तकलीफें मिलें पर मैं हक़ीक़त से दूर नहीं भागता हूँ।
मेहनत के दम पर मुकाम बनाना है मुझे जीवन में "पुखराज"
मुट्ठी भर ख़्वाहिश लिए अपनी जमीं अपना आसमां ढूँढता हूँ।
© पुखराज
मैं हरदम जमीं से जुड़े रहकर ही अपना आसमां ढूँढता हूँ।
जब भी गौर से देखूँ मुझे औरों में खूबियाँ ही नजर आती है,
और बेहतर बनने के लिए मैं ख़ुद में ही कमियाँ खोजता हूँ।
गर ये जीवन इँसानियत के काम आ सकें तो क्या बात हो,
मैं तो ख़ुदा से मुझसे जुड़े हर व्यक्ति की खुशियाँ माँगता हूँ।
जो भी जितना भी मुझे दिया है जीवन में ख़ुदा का शुक्रिया,
लाख तकलीफें मिलें पर मैं हक़ीक़त से दूर नहीं भागता हूँ।
मेहनत के दम पर मुकाम बनाना है मुझे जीवन में "पुखराज"
मुट्ठी भर ख़्वाहिश लिए अपनी जमीं अपना आसमां ढूँढता हूँ।
© पुखराज
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