मुट्ठी भर ख़्वाहिश
राहों में हर मुश्किल का सामना कर ख़ुद को सँवारता हूँ,
मैं हरदम जमीं से जुड़े रहकर ही अपना आसमां ढूँढता हूँ।
जब भी गौर से देखूँ मुझे औरों में खूबियाँ ही नजर आती है,
और बेहतर बनने के लिए मैं ख़ुद में ही कमियाँ खोजता हूँ।
गर ये...
मैं हरदम जमीं से जुड़े रहकर ही अपना आसमां ढूँढता हूँ।
जब भी गौर से देखूँ मुझे औरों में खूबियाँ ही नजर आती है,
और बेहतर बनने के लिए मैं ख़ुद में ही कमियाँ खोजता हूँ।
गर ये...